बुधवार, 11 मार्च 2009

इतने सारे सपने बीते # सुंदर शर्मा

इतने सारे सपने बीते
छितररहा अहसास
चुन चुन दानो सी यादो में
कहाँ बसी है आस

अपने को ख़ुद में ही ढूढा
मन के पंख लिए
पाए रीते दीप अनेक

वे उन्माद उमड़ गए
तो जीवन ज्वार हुआ
छुट्टा तट मीलो पीछे
बस लहरों का ही साथ बचा

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